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टमाटर की फसल

पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

भीषण बाढ़ की वजह से पाकिस्तान में दिनोंदिन हालात खराब होते जा रहे हैं। इस दौरान पूरे देश में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। भीषण बाढ़ आने के बाद पूरे देश में लगभग 1000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि कई लाख लोग बाढ़ की वजह से प्रभावित हुए हैं। फिलहाल लगभग आधा देश बाढ़ की चपेट में है, जिससे सरकार ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की है। अनुमानों के मुताबिक़ पाकिस्तान को इस बाढ़ की वजह से लगभग 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान झेलना होगा। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार लगाई है। इस मामले में कई देश पाकिस्तान की मदद कर भी रहे हैं। हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को बाढ़ रिलीफ फंड के नाम पर 30 मिलियन डॉलर की मदद दी है। इसके अलावा आपदा की इस घड़ी में कई यूरोपीय देशों के अतिरिक्त दुनियाभर के अन्य देश पाकिस्तान की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से बहुत सारे लोग बेघर हो गये हैं। बाढ़ में उनका सामान या तो पानी के साथ बह गया है या खराब हो गया है, ऐसे में पूरे पाकिस्तान में चीजों के दामों में तेजी से इन्फ्लेशन (Inflation) देखने को मिल रहा है। वस्तुओं की कीमतें रातों रात आसमान छूने लगी हैं।


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ऐसे में खाने पीने की चीजों से लेकर सब्जियों के भी दाम आसमान छूने लगे हैं। पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान प्रांत में लगातार तीन महीने से हो रही बरसात ने सब्जियों की खेती को तबाह कर दिया है। इससे लाहौर के बाजार में टमाटर 500 रुपये प्रति किलो, जबकि प्याज 400 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलो बिक रही है। पाकिस्तान में सब्जियों के दाम लगातार आसमान की ओर जा रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान की मौजूदा सरकार ने भारत से टमाटर और प्याज आयात करने का मन बनाया है, ताकि देश में बढ़ती हुई सब्जियों की कीमतों में लगाम लगाई जा सके। दक्षिण भारत में और इसके साथ ही पहाड़ी राज्यों में अगस्त-सितम्बर में टमाटर की फसल की जमकर पैदावार होती है। ऐसे में अगर भारत सरकार टमाटर और प्याज के निर्यात का फैसला करती है, तो देश में किसानों को टमाटर और प्याज के अच्छे दाम मिल सकते हैं। साथ ही देश में टमाटर और प्याज की गिरती हुई कीमतों को रोका जा सकेगा।


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पाकिस्तान पहले से ही अपनी ज्यादातर खाद्य चीजों का आयात करता रहा है। गेहूं से लेकर चीनी तक के लिए पाकिस्तान दूसरे देशों पर निर्भर है। ब्राजील पाकिस्तान में चीनी का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसी प्रकार प्याज और टमाटर, पाकिस्तान कुछ दिनों पहले तक अफगानिस्तान से खरीद रहा था। लेकिन बलूचिस्तान और सिंध में आई बाढ़ ने पाकिस्तान में प्याज और टमाटर की मांग को बढ़ा दिया है। इसकी आपूर्ति अकेले अफगानिस्तान नहीं कर पायेगा। इसलिए अब पाकिस्तान की सरकार इस मामले में भारत से आस अलगाये हुए है, ताकि भारत पाकिस्तान की जरुरत का प्याज और टमाटर पाकिस्तान को निर्यात करे, जिससे देश में प्याज और टमाटर की कमी न होने पाए और इन चीजों के भाव नियंत्रण में रहें।
जानिए कैसा रहेगा अलीगढ़ जनपद का मौसम एवं महत्वपूर्ण सलाहें

जानिए कैसा रहेगा अलीगढ़ जनपद का मौसम एवं महत्वपूर्ण सलाहें

कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार आने वाले दिनों में मौसम शुष्क रहेगा। अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान क्रमश: २४.० से २७.० व १०.० से ११ .० डिग्री सेल्सियस रहेगा | इस दौरान पूर्वाह्न ७ .२१ को सापेक्षिक आद्रता ६० से ८५ तथा दोपहर बाद अपराह्न २.२१ को ४५ से ५५ प्रतिशत रहेगा। हवा ४.० -१३ .० कमी/घंटे की गति से चलने का अनुमान है। ईआरएफएस उत्पाद के अनुसार से २७ नवंबर- ३ दिसंबर २०२२ में अधिकतम तापमान,न्यूनतम तापमान सामाय और वर्षा सामान्य से कम हो सकती है। गन्ने की बुवाई नवंबर से पहले करें क्योंकि उसके बाद तापमान कम होगा एवं अंकुरण कम होगा। १५ दिन के अंतराल पर सिंचाई करें और बुवाई के २५-३० दिन बाद निराई करें।

फसल संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी व सलाह

मसूर की बुवाई

मसूर की बुवाई जिसने ना करी हो वे अभी कर सकते हैं, लेकिन प्रति हैक्टेयर ५५ से ७५ किलो ग्राम बीज लगेगा। बुवाई के ४५ दिन बाद पहली सिंचाई कर और बोआई के ५५ से ७५ दिन बाद फूल निकलने से पहले सिंचाई करें।

गेहूँ की बुवाई

गेहूँ के खेत की तैयारी में देख लें कि मिट्टी भुरभुरी हो जाए डले ना रह जाए। गेहूँ की बुवाई का सबसे अच्छा समय १५ से ३० नवंबर तक है, इस मध्य गेहूँ की बुवाई हर हाल में पूरी कर लें। HD २९६७, UP २३८२, PBW ५०२ आदि २.५ ग्राम कार्बेन्डजिन प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से बीजोपचार करें पंक्ति के मध्य २०-३० सेमी की दूरी और पौधे के बीच १० सेमी रखें।
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बागवानी संबंधित आवश्यक सलाह

टमाटर ग्रीष्म ऋतु की फसल हेतु कम व अधिक बढ़ने वाली दोनों प्रजातियों की रोपाई ६०४५ सेंटीमीटर पर करें। टमाटर में खरपतवार नियंत्रण हेतु प्रति हैक्टेयर पेंडीमेथिलीन १ किलोग्राम सक्रिय तत्व रोपण के 2 दिन बाद १००० लीटर पानी में घोलकर बनाकर प्रयोग करें।

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अधिक आद्रता के कारण, आलू और टमाटर में ब्लाइट का संक्रमण हो सकता है। लगातार नगरानी की सलाह दी जाती है। यदि लक्षण दिखें तो कार्बनडीजीन@ 1.0 ग्राम / लीटर पानी या Dithane-M-45 @ 2.0 ग्राम / लीटर पानी की दर से स्प्रे करने की सलाह दी जाती है।
नववर्ष के जनवरी माह में करें इन सब्जियों का उत्पादन मिलेगा बेहतरीन मुनाफा

नववर्ष के जनवरी माह में करें इन सब्जियों का उत्पादन मिलेगा बेहतरीन मुनाफा

नया साल आ गया है, नए साल के आरंभ में फसलों का चयन उस हिसाब से करना अच्छा होगा जिससे आपको आगामी कुछ माह के अंतराल में ही अच्छा खासा मुनाफा हो सके। नववर्ष के जनवरी माह में किसान उन फसलों को उगाएं, जिनसे किसानों को होली आने तक बेहतरीन लाभ अर्जित हो सके। नए साल के समय में खेतीबाड़ी या कृषि के क्षेत्र में इस वर्ष काफी कुछ अच्छा, नवीन एवं अलग होना है। किसानों की आशाएं नए साल सहित एक बार पुनः जाग्रत हो गई हैं। फसलों से अच्छी पैदावार लेने हेतु किसान निरंतर कोशिशों में जुटे हुए हैं। फिलहाल, बहुत सारे किसानों द्वारा खेतों में सरसों, गेंहू, तोरिया एवं सब्जी फसलों का उत्पादन करना शुरू किया है। अगर आपने अभी ऐसी सब्जियों की बुवाई नहीं की है, तो आप मौसम के अनुरूप कुछ विशेष सब्जियों का चयन करके 2 से 3 माह में बेहतरीन उत्पादन कर सकते हैं। हम आपको आगे यह बताने वाले हैं, कि जनवरी के मौसम में किन सब्जियों का उत्पादन करना चाहिए। किसानों को उन फसलों का उत्पादन करें जिनसे उनको बेहतरीन मुनाफा अर्जित हो सके।

टमाटर का उत्पादन करें

ये बात जग जाहिर है, कि टमाटर की सब्जी बारह महीने चलने वाली फसल है, जिसका उत्पादन प्रत्येक सीजन में किया जा सकता है। सर्दियों के मौसम में भी टमाटर की फसल का उत्पादन किया जा जा सकता है। परंतु फसल को अत्यधिक ठंड-शर्द हवाओं से संरक्षित करना होगा, आप चाहें तो खेत के एक भाग में टमाटर का पौधरोपण कर सकते हैं। बेहतरीन एवं सुरक्षित उत्पादन हेतु पॉलीहाउस अथवा ग्रीन हाउस के भीतर भी टमाटर की फसल उगा सकते हैं। एक बार बुवाई अथवा पौध की रोपाई के उपरांत 10 दिन के अंतराल में एक बार सिंचाई करनी बेहद जरूरी होगी। टमाटर की बेहतरीन किस्मों से कृषि की जा रही है तो निश्चित रूप से आपको होली तक टमाटर का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो जाएगा।

मिर्च का उत्पादन करें

सर्दी हो अथवा गर्मी, प्रत्येक मौसम में मिर्च को अत्यधिक उपभोग में लिया जाता है। आपको यह बतादें, कि सर्दियों के मौसम में मिर्च का उपभोग काफी बढ़ जाता है। इस वजह से जनवरी माह में मिर्च का उत्पादन करना अच्छा होगा। अगर नवंबर माह के अंदर आपने मिर्च की नर्सरी को तैयार किया हो, तो इन पौधों को खेत के किनारे मेड़ों पर भी उगा सकते हैं।


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इस मिर्च का प्रयोग खाने से ज्यादा सुरक्षा उत्पादों में किया जाता है।
लेकिन याद रहे कि पौधों के मध्य में 18 से 24 इंच की दूरी अवश्य हो। सर्दियों में मिर्च की फसल में अधिक पानी देने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। इस वजह से 10 से 15 दिन के अंतराल में हल्का सा जल जरूर दें, जिससे 60 से 90 दिनों के भीतर बेहतरीन उत्पादन हाँसिल हो सके।

प्याज का उत्पादन करें

सर्द जलवायु में प्याज से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है, कि 17 जनवरी तक प्याज के पौधों का रोपण कर सकते हैं। अगर प्याज की बाजार में मांग के बारे में बात करें तो लाल प्याज सहित हरे प्याज की भी अच्छी खासी मांग रहती है। प्याज की खेती से बेहतरीन उत्पादन हेतु खेतों में पहले उर्वरक डाल क्यारियां तैयार करें।


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इसके उपरांत 10 से 20 सेमी की दूरी पर प्याज का पौधरोपण की कर दें। आपको बतादें कि प्याज की बुवाई या रोपाई हेतु सबसे अच्छा समय शाम का माना जाता है। प्याज में हल्की सिंचाई करने से फसल में नमी बनी रहती है।

कंद सब्जियों का उत्पादन करें

ठंड के मौसम को कंद सब्जियों का भी मौसम माना जाता हैं, आलू से लेकर अदरक, हल्दी, शकरकंद, गाजर, मूली आदि का उत्पादन किया जाता है। यह समस्त फसलें 60 से 90 दिन में पूरी तरह उपभोग हेतु तैयार हो जाती हैं। यह भूमि में उत्पादन करने वाली सब्जियां हैं, इस वजह से मृदा में सामान्य नमी का होना जरुरी है। जिन खेतों में जलभराव हो वहाँ कंद सब्जियां ना उगाएं, इसकी वजह से उत्पादन में सड़न-गलन उत्पन्न हो जाती है। इन बागवानी सब्जियों की अप्रैल माह तक बाजार में खरीद बनी रहती है।

हरी पत्तेदार सब्जियां उगाएँ

सर्दियों की प्रसिद्ध हरी सब्जियां पालक, मेथी, धनिया, बथुआ एवं सरसों का साग अत्यधिक मांग में रहता है। एक बार खेतों में इन सब्जियों का उत्पादन करके प्रथम कटाई के उपरांत हर 15 दिन के अंतराल में 3 से 4 बार कटाई ली जा सकती है। हरी पत्तेदार सब्जियों में आयरन की बहुत अच्छी मात्रा पायी जाती है। बहुत सारे लोग इन सब्जियों को सुखाकर वर्षभर उपयोग करते हैं, जिन्हें ड्राई वेजिटेबल्स भी कहा जाता है। अगर आप जनवरी माह में इन सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं, तो मार्च माह तक आपको खूब उत्पादन प्राप्त हो जाएगा।

मटर के उत्पादन से होंगे यह लाभ

मटर का उत्पादन सर्दियों के मौसम में किया जाता है, परंतु इससे किसान मात्र एक बार की खेती से वर्ष भर लाभ उठा सकते हैं। जनवरी में मटर की बुवाई कर एकसाथ उत्पादन लेकर इसकी प्रोसेसिंग करें एवं इसको फ्रोजन मटर का रूप दें। इस तरह आपकी उपज पूरे वर्ष बिकेगी एवं बर्बाद भी नहीं होगी। बतादें कि बहुत सारे डेयरी केंद्र, परचून की दुकान एवं विभिन्न उत्पाद श्रेणियों पर फ्रोजन मटर की माँग रहती है। चाहें तो ई-नाम के माध्यम से सीधे ऑनलाइन मंडी में मटर का उत्पादन को विक्रय किया जा सकता है।
ठंड़ और पाले की वजह से बर्बाद हुई फसल का मुआवजा मांगने के लिए हरियाणा के किसान दे रहे धरना

ठंड़ और पाले की वजह से बर्बाद हुई फसल का मुआवजा मांगने के लिए हरियाणा के किसान दे रहे धरना

भारत की विभिन्न जगहों पर ठंड एवं पाला वर्तमान स्थिति में भी फसलों को काफी प्रभावित कर रहा है। हरियाणा राज्य के विभिन्न जनपदों में टमाटर, बैंगन, मटर जैसी बाकी फसलों को भी हानि पहुंचा रहा है। कृषि विशेषज्ञों द्वारा खेती किसानी करने वालों को सतर्कता एवं सावधानी बरतने की सलाह देदी है। भारत के विभिन्न स्थानों में फिलहाल भी प्रचंड कड़ाके की सर्दी पड़ी हुई है। हालांकि, कुछ प्रदेशों में विगत थोड़े समय से मौसम में नरमी अवश्य आई है। लेकिन विशेषज्ञों ने बताया है, कि फिलहाल जनवरी का माह चल रहा है। किसान इस धोखे में कतई ना रहें कि ठंड निकल गई हैं। किसानों को फसलों के संरक्षण हेतु सतर्क और सावधान रहने की आवश्यकता है। साथ ही, पाले से संरक्षण हेतु आवश्यक इंतजाम करते रहें। वहीं, जिन राज्यों में पाले का असर फिलहाल भी देखने को मिल रहा है। पाले के आक्रमण से फसलों की जान खतरे में आनी आरंभ हो गई है।

हरियाणा राज्य में बागवानी फसलों को काफी हानि

हरियाणा के रोहतक में निरंतर पड़ रहे पाले का असर फसलों पर देखने को मिल रहा है। एकमात्र कनीना में ही लगभग 52 एकड़ में उत्पादित की जाने वाली टमाटर की फसल को 60 से 90 फीसद तक हानि होने की आशंका व्यक्त की है। यहां 15 से 18 जनवरी माह तक भयंकर पाला पड़ा है। इसका प्रभाव फिलहाल टमाटर, बैंगन, आलू, मटर एवं बेल वाली सब्जियों पर दिखाई दे रहा है। यह सब्जियां आहिस्ते-आहिस्ते सूखती जा रही हैं। इसके अतिरिक्त हिसार में मटर, आलू, टमाटर की लगभग 300 एकड़ फसल पाले से प्रभावित हुई है। किसानों ने राज्य सरकार से आर्थिक सहायता की मांग व्यक्त की है। किसानों ने बताया है, कि सर्दी और पाले की वजह से मटर व टमाटर की फसल की उन्नति एवं प्रगति थम गई। इससे टमाटर की फसल उत्पादन में भारी कमी आएगी।
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केवल इस फसल के लिए ठंड़ लाभकारी साबित होती है

विशेषज्ञों के बताने के अनुसार, ज्यादा सर्दी का फायदा सामान्यतः गेहूं की फसल पर अधिक देखने को मिलता है। गेहूं की फसल इस मौसम में तीव्रता से विकास करती है। वहीं, सर्दी अगर साधारण है, तब यह टमाटर, आलू, सरसों, मटर सहित समस्त फसलों हेतु लाभकारी भूमिका निभाती है। इस मौसम के अंदर बेहतरीन उत्पादन भी हो जाता है। परंतु, पाला अत्यधिक पड़ने की स्थिति में सब्जी, बागवानी फसलों को ज्यादा हानि होती है।

किसान अपनी फसल की सुरक्षा हेतु सतर्क और सावधान रहें

पाले से फसलों को बाचव के लिए लो टनल, शेड नेट, सरकंडे का उपयोग कर सकते हैं। फसलों व सब्जियों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। खेत के उत्तर-पश्चिम छोर पर रात के समय थोड़ा धुआं कर देना चाहिए। सांद्र गंधक का अम्ल 0.1 फीसद मतलब 1 मिलीलीटर 1 लीटर जल के अंदर इसके अतिरिक्त घुलन-शील गंधक 0.2 फीसद 2 ग्राम प्रति लीटर जल में अथवा थायो यूरिया (Urea) 500 पीपीएम 0.5 ग्राम प्रति लीटर जल में का घोल बनाकर छिड़काव कर देना चाहिए। अगर ठंड़ और पाला ज्यादा समय तक बना रहे, तो छिड़काव प्रत्येक 15 दिन के अंदर करना काफी जरूरी है।

फसलों में हुए नुकसान को लेकर हरियाणा के किसान सड़कों पर

फसल को सर्दी और पाले से हुए भारी नुकसान से परेशान किसानों ने हरियाणा सरकार से फसल का मुआवजा देने के लिए धरना प्रदर्शन किया है। भारत के किसान विगत साल से कई सारी प्राकृतिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अब अत्यधिक ठंड़ और पाले की वजह से किसानों की विभिन्न फसलें प्रभावित हो चुकी हैं। इसलिए किसान निराशा की स्थिति में सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।